मजदूरों की वापसी राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती, ट्रेन चलाने की मांग

केंद्र सरकार की गाइडलाइन जारी होने के बाद हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने मजदूरों की घर वापसी की मांग तेज कर दी है. वहीं, केंद्र की गाइडलाइन के बाद भी राज्य सरकारों के लिए मजदूरों को वापस लाना आसान नहीं है. इसलिए कई सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं.




  • बसों से वापस लाना राज्य सरकारों के लिए आसान नहीं

  • कई राज्य सरकारों ने की केंद्र से ट्रेन चलाने की मांग


लॉकडाउन के चलते देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों की वापसी के लिए भले ही केंद्र ने गाइडलाइन जारी कर दी है. लेकिन मजदूरों की घर वापसी की राह अब भी आसान नजर नहीं आ रही है. मजदूरों का पंजीकरण, वाहनों का इंतजाम सहित तमाम व्यवस्थाएं करने के साथ-साथ बसों में मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुए हैं. यही वजह है कि बिहार सहित कई राज्य अपने मजदूरों को वापस लाने के लिए हाथ खड़े कर रहे हैं.


केंद्र सरकार की गाइडलाइन जारी होने के बाद हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में मजदूरों ने घर वापसी की मांग तेज कर दी है. रोहतक, बड़वानी और नागौर में मजदूर जल्द से जल्द घर जाने की मांग को लेकर विरोध पर उतर आए हैं. ऐसा ही नजारा सूरत में भी देखने को मिला, जहां बड़ी संख्या में मजदूर घर वापसी के लिए सड़क पर हैं. केंद्र की गाइडलाइन को जमीनी स्तर पर लाना सरकारों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं, जिसकी वजह से देश के तमाम राज्य इसको लेकर माथापच्ची कर रहे हैं.


मजदूरों को बसों से सैकड़ों किलोमीटर दूर घर ले जाना आसान नहीं हैं. यही वजह है पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार समेत 5 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने स्पेशल ट्रेनें चलाने की मांग की है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्पेशल ट्रेन चलाने को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है तो बिहार सरकार ने मजदूर और छात्रों को बसों से वापस लाने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं.



बिहार के उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने साफ तौर पर कह दिया है कि राज्य सरकार के पास इतना संसाधन नहीं है कि वह देश के विभिन्न राज्यों में बस भेजकर प्रवासी मजदूरों और छात्रों को वापस बुला सके. डिप्टी सीएम ने केंद्र सरकार से दूर स्‍थानों में फंसे राज्‍य के मजदूरों-कामगारों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से असमर्थता जताते हुए कहा कि बिहार जैसे राज्य खुद अपने 28 लाख मजदूरों को महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्य से वापस लाने में सक्षम नहीं है.


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा था कि प्रवासी मजदूरों की वापसी तभी संभव हो पाएगी जब केंद्र सरकार भारतीय रेलवे को फिर से ऑपरेशनल होने का आदेश देगी. यानी कि अगर केंद्र सरकार ट्रेन सेवा बहाल कर दे तो इन लोगों को आसानी से वापस भेजा जा सकेगा.


उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में राजस्थान को अलग अलग राज्यों से छह लाख मजदूरों का आवेदन मिला है. ये मजदूर तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और नॉर्थ ईस्ट जैसे इलाकों से हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को मेरी यही सलाह होगी कि ट्रेन सेवा के जरिए इन सभी को गंतव्य स्थल तक पहुंचाने का काम किया जाए.


महाराष्ट्र सरकार ने भी प्रवासी लोगों की वापसी का काम शुरू कर दिया है. लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र में करीब साढ़े तीन लाख प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में फंसे हुए हैं. एक तरफ प्रवासियों में बेचैनी बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ उनके लिए सुविधाएं जुटाते-जुटाते सरकार भी परेशान है.


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